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|रचनाकार=सुनीता शानू
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<poem>
बाँधो न प्रेम को किसी बंधन में
मुक्त गगन में उड़ जाने दो
मोह पाश न फ़ेंको इसपर
मन पखेरू उड़ जाने तो…
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