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Kavita Kosh से
मन में जिनके पाप है, उन्हें लगा यह रोग।
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सारे सुख मन -प्राण से , किए तुम्हारे नाम। फिर भी रुक पाता नहीं, जीवन का संग्राम॥
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रिश्ते कुहरे हो गए, रस्ते हुए कुरूप।