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मेरा परिचय / सुभाष राय

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चुने जाने से ख़ुश हैं
उनसे मुझे कुछ नहीं कहना
जो मुर्दों की मानिंद मानिन्द
घर से निकलते हैं
बाजारों बाज़ारों में ख़रीदारी करते हैं
और ख़ुद ख़रीदे हुए
सामान में बदल जाते हैं
मैं अपने जैसे गिने-चुने
लोगों को ढूँढ ढूँढ़ रहा हूँ
मुझे आग बोनी है
और अंगारे अँगारे उगाने हैं
मेरा परिचय
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