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Kavita Kosh से
चीं-चीं, चीं-चीं, चूँ-चूँ चूँ .......
माँ बादल कैसा होता ?
क्या काजल जैसा होता
चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ .......
मुझको उड़ना सिखला दो
बाहर क्या है दिखला दो
चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ चूँ .......
बाहर धरती बहुत बड़ी
घूम रही है चाक चढ़ी
चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ चूँ .......
उड़ना तुझे सिखाऊँगी
बाहर खूब घुमाऊँगी