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तंत्र और नसीब / प्रताप नारायण सिंह
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14:53, 7 नवम्बर 2019
हड्डियों के कटोरे में धँसी हुई आँखें
शून्य में गोता लगाती हैं,
और कुरूप हो उठते
है
हैं
आश्वासनों के कीचड़ में उगे
स्वप्नों के सुन्दर चेहरे।
Pratap Narayan Singh
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