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निहारता हूँ मैं / शक्ति चट्टोपाध्याय / मीता दास
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20:39, 15 मार्च 2020
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<poem>
उठा लाओ पेड़ों को, यहाँ
बगीचा
बग़ीचा
बनाओ
हमें अब पेड़ों को निहारने की ज़रूरत है
सिर्फ़ पेड़ों को निहारना
अनिल जनविजय
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