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कुछ अजब मन है कि हम दुख देखकर सबका दुखी हैं,
तुम हमारी चोटियों की बर्फ़ को यो मत कुरेदो,
दहकता लावा हृदय में है कि हम ज्वालामुखी हैं! हैं।
लास्य भी हमने किए हैं और तांडव भी किए हैं,
वंश मीरा और शिव के, विष पिया है औ' जिए हैं,
दूध माँ का, या कि चन्दन, या कि केसर जो समझ लो,
यह हमारे देश की रज है कि हम इसके लिए हैं!हैं।
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