भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

है तो है / दीप्ति मिश्र

181 bytes added, 15:07, 8 सितम्बर 2008
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दीप्ति मिश्र
|संग्रह=है तो है. / दीप्ति मिश्र
}}
 
 
वो नहीं मेरा मगर उससे मुहब्बत है तो है
ये अगर रस्मों, रिवाज़ों से , बगावत है तो है
सच को मैने सच कहा, जब कह दिया तो कह दिया
अब ज़माने की नज़र में , ये हिमाकत है तो है
कब कहा मैनें कि वो मिल जाये मुझको, मै उसे
गर ग़ैर न हो जाये वो बस , इतनी हसरत है तो है
जल गया परवाना तो शम्मा की इसमे इसमें क्या खतारात भर जलना-जलाना , उसकी किस्मत है तो है
दोस्त बन कर दुष्मनों दुश्मनों-सा वो सताता है मुझेफ़िर भी उस जालिम पे मरना , अपनी फ़ितरत है तो है
दूर थे और दूर हैं हरदम ज़मीनों-आसमाँ
दूरियों के बाद भी , दोनों में कुर्बत है तो है
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits