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12:34, 1 जून 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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<poem>
दर जब तेरा आया होगा
मैंने शीश झुकाया होगा ।
बहुत सूरतें होंगी दिलकश
रूप तुम्हारा भाया होगा ।
जब-जब साँसें मेरी लौटीं
गीत तुम्हारा गाया होगा।
लहरों से हम बचकर निकले
साथ तुम्हारा साया होगा ।
मेरे आँगन खुशबू फैली
तुमने ही महकाया होगा ।
वैसे तो मिलना नामुमकिन
सपनों में भरमाया होगा ।
अपने सपने तोड़ गए जब
मुझको धीर बँधाया होगा।
सारे रिश्ते बोझ बने थे
तुमने हाथ बँटाया होगा।
दुनिया से जब धोखा खाया
प्यार तुम्हारा पाया होगा
अँधियारे जब घिरकर आए
तुमने दीप जलाया होगा।
<poem>