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सबकी सुनना, अपनी करना / हस्तीमल 'हस्ती'
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09:00, 17 जून 2020
प्रेम नगर से जब भी गुज़रना
अनगिन बूँदों में
कुछको
कुछ को
ही
आता है फूलों पे ठहरना
बरसों याद
रखे
रखें
ये
मौजे
मौजें
दरिया से यूँ पार उतरना
Abhishek Amber
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