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Kavita Kosh से
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पुरानी तस्वीरों में ऐसा क्या है
जो जब दिख जाती हैं तो मैं गौर ग़ौर से देखने लगता हूँ
क्या वह सिर्फ़ एक चमकीली युवावस्था है
सिर पर घने बाल नाक-नक़्श कुछ कोमल
मेरा फोटो अच्छा नहीं आता मैं सतर्क हो जाता हूँ
जैसे एक आइना सामने रख दिया गया हो
सोचता हूँ क्या यह कोई डर है है मैं पहले जैसा नहीं दिखूंगा
शायद मेरे चेहरे पर झलक उठेंगी इस दुनिया की कठोरताएं
और चतुराइयाँ और लालच