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|भावार्थ=मन में उठने वाली समस्त लालसाएँ व इच्छाएँ हमको ठगने वाली वाली होती हैं। कबीर के अनुसार यह अनगिनत इच्छाएँ व लालसाएँ माया का ही रूप है। यही माया हमें अवांछित रास्तों की ओर धकेलती है। इस माया में तीनों प्रकार के गुणों यथा- सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण का वास होता है और वह अपने इन्हीं गुणों से लोगों को अपने जाल में फँसाती है।
कबीर दास जी कहते हैं जो ईश्वर का सबसे सच्चा भक्त है उसको यह माया अपने जाल में नहीं फँसा पाती है इसके उलट यह माया, इच्छा और लालसा ईश्वर के सच्चे बंदे के हाथों बिक जाती है।