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ईश / मनीष मूंदड़ा

6 bytes removed, 02:17, 23 जुलाई 2020
कई अधूरी बातों को चुपचाप पूरा किया है
मेरे मन ने
जब मैं दुरूखी दुखी होता हूँ
मन भी थोड़ी देर साथ देता है
पर फिर सम्भालता है मुझे
चलने की राह देता है
मन ही मेरा दोस्त है
मन ही मेरा ईश !
</poem>
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