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और 'लौटना भी तो कठिन है,चल चुका युग एक जीवन'
अब शब्द ही घर हैं,
घर ही जाल है, जाल ही तुम हो, अपने से ही उलझो, अपने से ही उलझो, अपने में ही गुम हो.
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