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|रचनाकार=धर्मवीर भारती
|संग्रह=कनुप्रिया / धर्मवीर भारती
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<poem>
- बुझी हुई राख में छिपी चिन्गारी-सा
रीते हुए पात्रकी आखिरी बूँद-सा
पा कर खो देने की व्यथा-भरी गूँज-सा...</poem>
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