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तुम्हारे दिल की धड़कनों सें
तरंगायित मन में
उठती पदचापों का
हस्ताक्षर अनित्य हूँ
 
तुम रोज़ जो बदलती हो
रोती कभी हँसती हो
जीवन की खोयी तानों की
लय मधुर मैं ताल हूँ
 
दुख लिये, सुख ढूँढ़ती
आँचल से आती तुम्हारे
सलवटी हवाओं की मैं
बलखाती अनुगूँज हूँ
 
तुम्हारे अधरों के स्फुरण से
बनते ब्रह्माण्डों के
सम्मिलित निनादों का
रुपांकित अनुवाद हूँ
 
मैं तुम्हारा मीत वही
ईशारों का हमराज़ भी
होंठ तुम्हारे जब भी खुलें
मैं बना संगीत हूँ
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