भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सोनरूपा विशाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सोनरूपा विशाल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
एक सीधा सा सरल सा मन
साथ अपने ले गया बचपन

फ़िक्र से अंजान रहते थे
पंछियों जैसे चहकते थे
इंद्रधनु जैसी लिये मुस्कान
चुलबुली नदिया सी बहते थे

मस्तियों से गूंजता आंगन
साथ अपने ले गया बचपन

हम थे मौलिक गीत के गायक
रह गये अब सिर्फ़ अनुवादक
कहने को आज़ाद हैं लेकिन
ख़्वाहिशों के बन गए बंधक

तृप्ति का, संतुष्टि का हर क्षण
साथ अपने ले गया बचपन

प्रेम को व्यापार कर बैठे
ज़िन्दगी रफ़्तार कर बैठे
जो नहीं था ज़िन्दगी का सच
झूठ वो स्वीकार कर बैठे


सच को सच कह्ता हुआ दर्पण
साथ अपने ले गया बचपन

रहके अपने आप तक सीमित
साधते रहते हैं अपना हित
स्वार्थ की पगडंडियों पे चल
कर रहे हैं ख़ुद को संचालित

भोर की किरणों सा भोलापन
साथ अपने ले गया बचपन
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,967
edits