532 bytes added,
05:53, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatRubaayi}}
<poem>
जब ओस में इक किरन नहाई लिक्खी
फ़ितरत ने जब ली अंगड़ाई लिक्खी
जब वज्द में कायनात आई लिक्खी
हम ने भी रुबाई मिरे भाई लिक्खी।
</poem>