भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नहीं बच्चों को भी रोटी है,
रह सकते नहीं प्राण इनके,
अति कोमल है, वे वय छोटी हैं |
इसलिए कृपा कर प्राणनाथ,
तुम नमन करो अविनाशी को,
514
edits