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तमाम कैफ़ ख़मोशी तमाम नग़्म-ए-साज़ / फ़िराक़ गोरखपुरी
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17:41, 24 अक्टूबर 2020
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तमाम कैफ़ ख़मोशी तमाम नग़्म-ए-साज़
नवा-ए-राज़ है ऐ दोस्त या तेरी आवाज़
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