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Kavita Kosh से
मुझ आत्मा को विलीन होना है अभी तुममें।
मेरा स्थान अभी रिक्त है तुम्हारे भीतर।
तुममें समा कर मैं शायद पूर्ण हो जाऊँ;
किन्तु तुम?
मुझ जैसी कितनी आत्माओं की रिक्तता से
भरे हो तुम ।
रीतापन , खालीपन
जाने कब तक ?
जाने कब तक ?
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