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चालीस पार प्रेम-1 / कुमार सुरेश
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11:14, 22 सितम्बर 2021
पर प्रेम
वह तो जब विस्तृत होता है
सारा संसार उसमें
समां
समा
सकता है
यह समय है
प्रेम
कि
की
पीड़ा को जानने का
आग के दरिया से तैर जाने का
प्रेम
कि
की
आरी से तराशे जाकर हीरा बनाने का
प्रेम तो गहना है
Arti Singh
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