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[[Category: सेदोका]]
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कुछ न माँगा
'''मधुमय संवाद'''
ज्यों कोई मन्त्रोच्चार।
8मोती ही मोतीसुगन्ध से भी भरेबहुत अनमोलग्रीवा की शोभास्नेहसिक्त भुजाएँकस कण्ठ लगाएँ।9पाखी-0-से उड़पहुँच जाते हैं भावगले लिपट जातेअश्रु हर्षातेतुम योगिनी बनीढूँढूँ बन महेश।
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