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सुख-साज / कविता भट्ट

No change in size, 04:51, 31 दिसम्बर 2021
<poem>
पक्षियों के पर रँगीले
रेशम की के बन्धन सजीले
हरीतिमा डाली निराली
नव किसलय, अमृत प्याली