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Kavita Kosh से
काउण्टरों पर, बिकते हैं जहाँ,
पनीर की रोटी, तरबूज तरबूज़;तैर गई आँसू आंसू और पाउडर की
एक अकस्मात गन्ध ।
तीखी थी आँसू आंसू की गन्ध
उस टुच्ची भीड़ में ।
गुर्राया ऊपर उठ हवा में
उस गूँगे दम्पत्ति दम्पती का हाथ ।
बेकन पकड़ अपनी मुट्ठी में