भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सारौ / चंद्रप्रकाश देवल

1,252 bytes added, 07:53, 17 जुलाई 2022
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]] |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
उडीक री आंख्यां करवायगी
वाट न्हाळतां
वा चित्त रै कोळै ऊभी है
भांन भूल्योड़ी
आकळ है न वाकळ
बस, उडीकै है लगातार

औ जोय
कोई चित्त रै मज्झ सूं
समझायस रै सुर में कैवै
‘सुण, म्हनै ठाह है
वौ नीं आवैला मिजाजीी-बादीलौ
आ तादस्ट बात है
खराखरी पतवाण्योड़ी’

सुणै, उडीक
सुण आपरी ठौड़ सूं चुळै
अर चित्त रै पिछोकड़ै जाय ऊभ जा
म्हनै ठाह है
वा वठै ई उडीकैला इज
इण टाळ उडीक रै कीं सारै नीं।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits