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हुड़क उठी दिन- रात है / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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07:25, 5 अगस्त 2022
सभी अँधेरों से लड़े , छोटा-सा उजियार।
उस उजियारे में छुपा , तेरा सच्चा प्यार।
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जीवन में खुशबू भरें, हर पल ये दिन रात।
साँझ सुहानी हो सदा, सुन्दर नवल प्रभात।।
</poem>
वीरबाला
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