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|रचनाकार=एन सेक्सटन
|अनुवादक=देवेश पथ सारिया
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<poem>
कुछ औरतें घरों से विवाह रचाती हैं
इनमें एक अलग क़िस्म की ख़ाल होती है
जिसमें शामिल एक दिल है,
एक मुँह है, एक जिगर है
और मल का निकास है

दीवारें स्थायी और गुलाबी हैं

देखो, पूरे दिन किस तरह
बैठी रहती है वह
घुटनों के बल
बड़ी वफ़ादारी से ख़ुद को धोती हुई
पुरुष बलात् प्रवेश करते हैं
और माँ की मांसल देह से
पथभ्रष्ट जोनाह* की तरह निकाल लिए जाते हैं
लब्बोलुआब यह है
कि स्त्री उनकी माँ है।
''
*जोनाह एक पैग़म्बर थे जिन्हें ईश्वर की अवज्ञा करने के फलस्वरूप एक मछली ने निगल लिया था। जोनाह द्वारा माफ़ी माँगने पर ईश्वर के आदेशानुसार मछली ने उन्हें उगल दिया था। इस कविता का भावानुवाद करने की कोशिश में ‘पथभ्रष्ट’ जैसे शब्द जोड़े गए हैं।''


</poem>
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