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Kavita Kosh से
पत्थरों के प्रहार से मरता नहीं कवि
न ही पुरस्कार की गोलियों से ।
सह लेगा वह नौसिखिए सैनिक अधिकारी के प्रहार<ref> </ref>
इस पर भी कहेगा ... लो, मारो मुझे और ... ।