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खिल गए फूल पलाश के / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु
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04:17, 28 दिसम्बर 2022
न बुझी प्यास मिली जो इसको
न बीते दिन बनवास के।
-0-
'''(20
जून्।
जून
2011)'''
</poem>
वीरबाला
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