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दहके फूल पलाश के / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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सुधियों की व्याकुल छाती में,
अंकुर फूटे आस के।
-0-
-( 28-9 -76: आकाशवाणी गौहाटी 10 -12-79)
</poem>
वीरबाला
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