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[[Category:हाइकु]]
<poem>
154
तुम्हारा प्यार-
इसके आगे बौना
नभ -विस्तार।
255
सिन्धु गहरा
तेरे प्यार के आगे
कब ठहरा!
356
जितनी दूर
उतने ही मन में
हो भरपूर।
457
अंक में तुम
जगभर की पीर
पल में गुम।
558
चूमे नयन
पोर -पोर में खिले
लाखों सुमन।
659
तुम्हारे बैन
दग्ध हृदय को दें
पल में चैन।
760
चूमे नयन
रोम -रोम पुलकित
स्वर्गिक सुख।
861
उजली भोर
बिखर गई रुई
चारों ही और।
962
लोग कुरूप
तुम अमृत-कूप
सदा स्रवित
-0-
</poem>