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{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार कृष्ण
|अनुवादक=
|संग्रह=धरती पर अमर बेल / कुमार कृष्ण
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जितनी बार सोचता हूँ-
लोनार क्रेटर* के बारे में
उतनी ही बार याद आती है-
तारे और धरती की दोस्ती
खत्म कर डाला स्वर्ग के तारे ने
एक झटके में अपने आप को
वह निकला था धरती से प्यार करने
जला डाला अपने प्यार की गरमाहट से
बहुत गहरे तक धरती को
झेल रही है तब से लोनार की धरती
तारे की आग
उसने छुपा लिया है तारे का प्यार
गहरे पानी में
लोग आते हैं उस जगह दूर-दूर से
सात समन्दर पार से भी
ले जाते हैं अपने साथ-
झील की हरी आँखें
वे भूल जाते हैं-
धरती की तकलीफ़
तारे और धरती के प्यार की कहानी
वे भूल जाते हैं-
प्यार तक पहुँचने के लिए
खुद को खत्म करना कितना जरूरी है।
------------------------------
* महाराष्ट्र के बुलडाना जिले में लोनार नामक स्थान पर सन् 1823 में जे.ई. एलेग्जेंडर ने पहली बार एक हकीकत को जाना कि पचास हजार वर्ष पहले एक बड़ा तारा यहाँ गिरा था, जिसने कई किलोमीटर की गोलाई में हजारों फुट गहरा सुराख कर डाला। आज यहाँ हरे रंग की पानी की झील है जिससे एक विचित्र गंध आती है।
</poem>
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जितनी बार सोचता हूँ-
लोनार क्रेटर* के बारे में
उतनी ही बार याद आती है-
तारे और धरती की दोस्ती
खत्म कर डाला स्वर्ग के तारे ने
एक झटके में अपने आप को
वह निकला था धरती से प्यार करने
जला डाला अपने प्यार की गरमाहट से
बहुत गहरे तक धरती को
झेल रही है तब से लोनार की धरती
तारे की आग
उसने छुपा लिया है तारे का प्यार
गहरे पानी में
लोग आते हैं उस जगह दूर-दूर से
सात समन्दर पार से भी
ले जाते हैं अपने साथ-
झील की हरी आँखें
वे भूल जाते हैं-
धरती की तकलीफ़
तारे और धरती के प्यार की कहानी
वे भूल जाते हैं-
प्यार तक पहुँचने के लिए
खुद को खत्म करना कितना जरूरी है।
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* महाराष्ट्र के बुलडाना जिले में लोनार नामक स्थान पर सन् 1823 में जे.ई. एलेग्जेंडर ने पहली बार एक हकीकत को जाना कि पचास हजार वर्ष पहले एक बड़ा तारा यहाँ गिरा था, जिसने कई किलोमीटर की गोलाई में हजारों फुट गहरा सुराख कर डाला। आज यहाँ हरे रंग की पानी की झील है जिससे एक विचित्र गंध आती है।
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