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Kavita Kosh से
क्योंकि मैं लम्बी हो गई थी, मेरे अंग भर आए थे और दो एक जगहों
पर रोम उग आए थे
'''न जानते हुए कि क्या माँगना है, जब मैंने प्यार माँगा
उसने सोलह वर्ष के यौवन को शयनकक्ष का रास्ता दिखाया और
दरवाज़ा बnd कर दिया
यह कोई एक नाम चुनने का समय है, एक भूमिका चुनने का समय
अनजान होने का नाटक मत करो
'''उन्मादी मत बनो और अति कामुक भी नहीं'''
प्रेम में ठुकराए जाने पर बेशरमी से ऊँची आवाज़ में रोओ मत