भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
बेदुईन के मन में आते हैं बड़े बेहूदा विचार
जो उसके दिमाग से निकलकर
उसके सामने झुक जाते हैं
वह उन्हें देखकर सीटी बजाता है,
उनपर एक डण्डी फेंकता है
और उन्हें ’भूतिया’ कहता है !
वहीं दूसरी तरफ़
उसके विचार ख़ुद से कहते हैं
कितना अजीब आदमी है ये
जो विचारों को कुत्ता मानता है !
वे इस खेल में शामिल हो जाते हैं
वे डण्डी लाने के लिए
उस डण्डी के पीछे भागते हैं
पर यदि वे भौंके नहीं और अपनी पूँछ नहीं हिलाएँ
तो बेदुईन उनका कुछ नहीं कर सकता
पर वे खेलते रहते हैं उसके साथ ।
वे जानते हैं
कि अगर कुत्ता नहीं तो
उन्हें घोड़ा बनना पड़ेगा ।
और आजकल सभी घोड़े
चबाते हैं अपना दाना-पानी
शाही अस्तबलों में पिटते हुए ।
आजकल विचार
किसी कुत्ते से
ज़्यादा महत्त्व नहीं रखते ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
He whistles to them
He throws them a stick and calls Fetch!
The ideas of the Bedouin
say to themselves:
What a strange man!
He thinks ideas are dogs!
But they go along with the game,
they run to fetch the stick
the Bedouin could do nothing with his ideas
The ideas play along
They know they can be either dogs or horses
But nowadays, all the horses are champing their bits
banged up in the royal stables
Nowadays, an idea is nothing more
than a dog
</poem>