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यादों की धूल / रीटा डाव / अनिल जनविजय
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13:02, 27 अगस्त 2023
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<poem>
हर दिन तो एक जंगल है,
बेउला
बिउला
!दृश्यों में नहीं कोई रंग है,
बेउला
बिउला
!
छोटी-छोटी बातों में भी धैर्य दिखलाओ ।
फिर इस जीवन से, भला, क्यों न ऊब जाओ ।
अनिल जनविजय
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