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Kavita Kosh से
इन्तज़ार कर, मैं लौटूँगा ।
इन्तज़ार कर तू मेरा,
हो तेज़ बारिश का फेरा,
और गर्मी पड़े भारी,
जब भूल चुके हों सबको, सब कोई
जाम पिएँ वो मेरी याद में
बैठ अलाव किनारे
पर तू इंतज़ार इन्तज़ार कर मेरा, जानम !
यादों के सहारे
बस, ये समझ न पाएँगे
तेरे कारण ही लौटा मैं
तूने मुझे बचाया है
बस, तू और मैं यह जानेंगे
तूने मुझे जिलाया है
बस, तेरे कारण ही ज़िन्दा मैं
बस, तूने सोचा था लौटेगा
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''