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<poem>
व्यस्तता की दीवार में
सेंध लगा कर
मैं कुछ बहुमूल्य पल
चुरा लेना चाहता हूँ --
क्या पुलिस मुझे पकड़ेगी?

बीत चुके वर्षों की
बंद अल्मारी में
चोर-चाबी लगा कर
मैं कुछ बहुमूल्य यादें
चुरा लेना चाहता हूँ --
क्या पुलिस मुझे पकड़ेगी?

'हलो-हाय’संस्कृति वाले महानगर
के अजायबघर का ताला तोड़ कर
मैं कुछ सहज अभिवादन
चुरा लेना चाहता हूँ --
क्या पुलिस मुझे पकड़ेगी?
</poem>
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