गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तज़करा है तेरा मिसालों में / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
4 bytes removed
,
4 फ़रवरी
<poem>
तज़करा
तज़ किरा
है तेरा मिसालों में
तू है बेशक परी जमालों में
नींद
क्योंकर ख़फ़ा है
आँखों से
है ख़फ़ा मेरी
अब तो आती है बस ख़यालों में
हर कोई जाएगा यहाँ से 'रक़ीब'
हम भी हैं याँ से जाने वालों में
</poem>
SATISH SHUKLA
490
edits