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|संग्रह=अशोक अंजुम की हास्य व्यंग्य ग़ज़लें / अशोक अंजुम
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<poem>
हों जो साहब जी द्वार पर बेटा !
कहना डैडी नहीं हैं घर बेटा !

में जो कहता हूँ तू नहीं सुनता ,
ध्यान तेरा है रे किधर बेटा ?

तेरी बीवी ने , तेरी मम्मी ने
घर को बनने न दिया घर बेटा !

जबसे आयी हैं बहूजी घर में
तब से निकले तुम्हारे पर बेटा !

वक्त की चाल न कल रखवा दे
तेरे पैरों पर मेरा सर बेटा !

सब यहाँ चर रहे हैं भारत को
तू भी मौका मिले तो चर बेटा !
</poem>
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