{{KKCatNepaliRachna}}
<poem>
धरती का यौवन का मस्त खिलने पर
फूलों का, ऊँचाइयों को छूकर आसमान को चूमना जैसा,
झिलमिलाता हुआ सुबह का सूरज
सपनों की परी से मिलने के लिए ऊँचाइयों की ओर दौड़ने जैसा।जैसा,
प्रेम पिघलता आँखों से
ऊँचाइयों की ओर क्यों नहीं बहते आँसू?