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आज़ादी का गीत / हरिवंशराय बच्चन
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सोमवार को 09:27 बजे
परम्परागत पुरखो की जागृति की फिर से
उठा शीश पर रक्खा हमने हिम-किरीट
उजव्व्ल
उज्ज्वल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल
चांदी
चाँदी
, सोने, हीरे, मोती से सजवा छाते
जो अपने सिर धरवाते थे अब शरमाते
फूल कली बरसाने वाली टूट गई दुनिया
वीरबाला
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