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|रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़
|अनुवादक=साबिर सिद्दीक़ी
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<poem>
तू क्यों सुबके-रोए, बच्ची
तू क्यों सुबके-रोए !
मैं रोऊँ-चिल्लाऊँ, बच्ची
मैं रोऊँ-चिल्लाऊँ;

छोड़ मुझे माँ-बाप सिधारे
खड़ी यतीमी हाथ पसारे

तू क्यों सुबके-रोए, बच्ची
मैं रोऊँ-चिल्लाऊँ;

जंग में भाई मैंने खोए
वीर हज़ारों रण में सोए

मैं रोऊँ-चिल्लाऊँ, बच्ची
मैं रोऊँ-चिल्लाऊँ;

तू क्यों सुबके-रोए बच्ची
तू क्यों सुबके-रोए !

यह सब सुनके बोली बच्ची
नाना, बात तुम्हारी सच्ची
लिखते-पढ़ते गाते तुम हो
सृजन की दुनिया में गुम हो
मेरी उम्र पड़ी है आगे
क़िस्मत कौन दिशा ले भागे

कुछ भी जान न पाऊँ, नाना
कुछ भी समझ न पाऊँ,
बस, रोऊँ-चिल्लाऊँ, नाना
बस, रोऊँ-चिल्लाऊँ !

बस, रोऊँ-चिल्लाऊँ !

'''रूसी भाषा से अनुवाद : साबिर सिद्दीक़ी'''
</poem>
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