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भाई कर ऊँच-नीच का ख्याल / निहालचंद

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भाई कर ऊँच-नीच का ख्याल, बोझ बदनामी का ठावै,
क्यूँ दिल डूबर्या तेरा रे ॥टेक॥
किसनै सुख दे बीर पराई, कीचक मतना करै अंघाई,
मानज्या भाई करदे टाल, आदमी पीछे पिछतावै,
क्यूँ खोदै कुआ झेरा रे ।1।
रामचन्द्र जी से बैर लगावण, गया था सीता जी नै ठावण,
उस राजा रावण की ढाल, जगत मैं डूंडी पिटवावै,
लागज्या सबनै बेरा रे ।2।
मेरै लागै सै चोट जिगर पै, दुश्मन क़ब्ज़ा करैंगे नगर पै,
तेरे सिर पै खेलै काल, तू बिस्तर जमपुर जा लावै,
पाड़ कै यो तम्बू डेरा रे ।3।
निहालचंद माया ढकी धरी नै, परख लिए खोटी और खरी नै,
द्यूँ तेरै हूर परी नै घाल, ठेठ होली के दिन आवै,
और के तू जी लेगा मेरा रे ।4।
</poem>
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