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चुनाव / अशोक अंजुम

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|संग्रह=अशोक अंजुम की मुक्तछंद कविताएँ / अशोक अंजुम
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<poem>
अशोक ‘अंजुम’
बरसात के मौसम में
कहीं भी निकल सकते हैं,
कहीं भी हो सकते हैं,
कहीं भी पहुँच सकते हैं,
साँप !
जूते के अंदर,
रसोई के डिब्बों के पीछे,
गैस सिलेंडर के नीचे,
सब्जी की टोकरी में,
गेहूँ की बोरी में,
अलमारी के तलवे में,
स्कूटर की डिक्की में,
सोफे के पैरों में,
इन दिनों ये
रहते नहीं हद में
रास्ता मिलते ही
घुस जाते हैं विधानसभा और संसद में!
</poem>
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