गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
द्वार पर आलेख / रसूल हमज़ातफ़ / मदनलाल मधु
2 bytes removed
,
4 अगस्त
{{KKCatKavita}}
<poem>
मेरे घर की अगर उपेक्षा
,
कर तू जाए, राही !
तुझ पर बादल-बिजली टूटें, तुझ पर बादल बिजली !
मेरे घर से अगर दुखी मन
,
हो तू जाए, राही !
मुझ पर बादल-बिजली टूटें, मुझ पर बादल-बिजली !
'''रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु'''
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,466
edits