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रविवार को 17:25 बजे {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चरण जीत चरण
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<poem>
खरीद सकता नहीं हूँ उधार मागूँगा
मैं और कुछ भी नहीं तुझसे प्यार मागूँगा
मेरी तपस्या अगर कामयाब हो भी गई
मैं देवता से तेरा इंतज़ार मागूँगा
मेरा ज़मीर गवारा तो ये नहीं करता
मगर मैं तुझसे तुझे बार-बार मागूँगा
मेरी खिजाँ का बदन छू के लौटने वाले
तुझे लगा कि मैं तुझसे बहार मागूँगा
तुम्हारे नाम पर सिगरेट छोड़ दूँ लेकिन
सवाल ये है कि किससे क़रार मागूँगा
</poem>