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रविवार को 17:26 बजे {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चरण जीत चरण
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|संग्रह=
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<poem>
रात को रौशनी का क्या मालूम ?
हमको दिल की ख़ुशी का क्या मालूम ?
वक्ते-रूखसत जो फेस की हमने
तुमको उस बेबसी का क्या मालूम ?
घर में फिलहाल ठीक हैं सब लोग
फिर भी इस ज़िन्दगी का क्या मालूम ?
आपकी दोस्ती से वाक़िफ़ हूँ
आपकी दुश्मनी का क्या मालूम ?
हाँ बहुत कम है आँख में पानी
कितनी है, तिश्नगी का क्या मालूम ?
जब तलक है तेरा नशा सब है
वर्ना इस शायरी का क्या मालूम ?
</poem>