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सोमवार को 17:14 बजे {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चन्द्र त्रिखा
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<poem>
अच्छी खबरें दिया करो
सहज ज़िन्दगी ज़िया करो
सफर न जाने कितना हो
हर इक लम्हा ज़िया करो
स्वाद बदलने की खातिर
कभी कभी हंस लिया करो
सूरज चांद सलामी दें
ऐसा भी कुछ किया करो
भले वसूली जीरो हो
सुख के कर्ज़ दिया करो
अच्छी खबरें दिया करो
सहज ज़िन्दगी ज़िया करो
</poem>