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|रचनाकार=विनीत पाण्डेय
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आवाज उठेगी ज़ोर से तो हर एक जुबाँ तक पहुँचेगी
आवाज़ जहाँ तक जानी है आवाज़ वहाँ तक पहुँचेगी
हर गूँज बनेगी चिंगारी भड़काएगी शोले दिल में
तुम भी देखोगे आग तुम्हारे वहम-ओ-गुमाँ तक पहुँचेगी
तुम करते रहना ज़ुल्म हमारे क़दम न रुकने पाएँगे
दुनिया देखेगी सितम की हद ये आज कहाँ तक पहुँचेगी
ये रात तुम्हारी मिटनी है अब सच का सूरज आएगा
हर एक नज़र जो तुमने की साज़िश के निशाँ तक पहुँचेगी
हमने तैयारी कर ली है हर तूफाँ से टकराने की
रोशनी मशालों से उठ कर हर गली मकाँ तक पहुँचेगी
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